कोचिंग में सेक्स एजुकेशन


दोस्तों इस कहानी में अपने एक पाठक की कल्पना को रंग दे रहा हूं। हमारे ये पाठक एक कोचिंग क्लास चलाते हैं। वहां आने वाली लड़कियों को देखकर उत्तेजित हो जाते और उनके साथ सेक्स के सपने देखने लगते। उनके ऐसे ही एक सपने को मैं कागज पर साकार कर रहा हूं, उम्मीद है कि आपको पंसद आएगी। चलिए अब उन्हीं की जुबानी सुनते हैं उनकी फैंटेसी को....
मेरा नाम, अजी नाम को छोडि़ए, बस अपना एक दोस्त समझिए। एक छोटे से शहर में कोचिंग क्लास चलाता हूं, जहां कॉलेज की कुछ लड़कियां भी आती हैं। उनमें से कुछ इतनी खूबसूरत हैं कि उन्हें देखकर ही मेरा लिंग तन्ना जाता है। किसी के नितंब चौड़े तो किसी के स्तन टॉप फाड़कर बाहर निकलने को बेताब। किसी के चिकने गाल तो किसी के नाजुक, रसीले होंठ। जब वे ठुकम-ठुमककर क्लास में आती तो उन्हें देखकर मन में आह सी निकल जाती थी। मैं उनके साथ सेक्स करना चाहता हूं, मगर ऐसा संभव नहीं। इसलिए रात को सोते समय उनके बारे में खूबसूरत और सेक्सी कल्पनाएं कर अपने हाथ से ही अपना लिंग सहलाकर संतुष्ट होने की कोशिश करता हूं। मुझे पता नहीं था कि एक दिन मेरा सपना पूरा हो जाएगा।
मैं लड़के और लड़कियों की क्लास अलग-अलग लेता था। उनके कोर्स में एक चेप्टर सेक्स एजुकेशन को लेकर था। इस चेप्टर को पढ़ाते समय मेरी वह ख्वाहिश पूरी हुई जिसे मैं कई दिनों से संजोए बैठा था। यूं तो क्लास में आने वाली सभी लड़कियां दिलकश और खूबसूरत थीं, और नहीं भी थी तो क्या लड़कियां तो थीं ही। उनमें से चार लड़कियां ऐसी थीं, जिन पर कॉलेज के सभी लड़कों और यहां तक कि प्रोफेसर तक की नजरें टिकी रहती थीं।
मोनिका जैसा कि नाम से ही जाहिर है कि एक सेक्सी लड़की। भारी नितंब, तने हुए स्तन और भरा-भरा शरीर। रंग थोड़ा सांवला जरूर था, मगर यही उसकी सेक्स अपील बढ़ाने के लिए काफी था। स्कर्ट और टॉप पहनकर आती तो उसकी सेक्सी टांगे देखकर ही मेरा लिंग उछलने लगता था।
रंजना, गोरी-चिट्टी, हमेशा सलवार सूट पहनती थी। सीधी-सादी, किसी से मतलब न रखने वाली। लंबी फिगर कुछ ऐसा कि हर अंग नितंब से लेकर स्तन तक सांचे में ढला हुआ और अनुपात में। गुलाबी रसीले होंठ देखकर चूसने का मन करने लगता था।
अनीता, चौड़े नितंब और उन्नत वक्षस्थल वाली मॉडर्न लड़की। हमेशा जींस-टॉप में ही रहा करती थी। जींस में उसके उभरे उसके नितंबों के ऊपर पैंटी के उभार देखकर धड़कने बढ़ जाती थीं। होंठे रसीले मानो मिश्री की डली हो। बस मुंह में लेकर चूसते रहो।
सनम, उसके बदन में से हमेशा एक मादक खुशबू उठा करती थी। हाथों को जोड़़ पर कुर्ती का हिस्सा हमेशा उसके पसीने से गीला रहता था। बस यही तमन्ना थी कि एक बार उस हिस्से पर नाक रखकर उस खुशबू का जी भरकर लुत्फ उठाऊं।
और आज शायद मेरी किस्मत मेहरबान थी। सुबह लड़कों की क्लास में सेक्स एजुकेशन का यह चेप्टर जब पढ़ाया था तो सोच रहा था कि लड़कियों के कैसे पढ़ाऊंगा। चेप्टर ही कुछ ऐसा था। नारी और पुरुष अंगों के विकास के साथ दोनों को यौनांगों की संरचना। मैथुन की प्रक्रिया और गर्भाधान तक पढ़ाना था। लड़कों की क्लास में खूब हंस-हंसकर चैप्टर को समझाया। लड़कों ने भी खूब मजे लिए, मगर लड़कियों की क्लास में ये चैप्टर पढ़ाने में मेरे हाथ-पैर फूल रहे थे। मैं सोच रहा कि जैसे लड़कों को इतनी गहराई से एक-एक बात समझाई, क्या इसी तरह लड़कियों के सामने एक्सप्लेन कर पाऊंगा और मैने सोचा कि उन्हें शॉर्ट में समझाकर चैप्टर खत्म कर दूंगा। शाम को क्लास में जो हुआ, उसकी तो मैने कल्पना भी नहीं की थी।
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शाम को क्लास में जैसे ही मैने कहा गल्र्स आज हम चैप्टर नं. .... पढ़ेंगे तो कुछ लड़कियां हौले से मुस्कुरा उठीं तो कुछ शरमा गईं। खुसर-पुसर शुरू हो गई। कुछ ने चुहल से पूछा, सर कौन सा..? मैने एक बार फिर दोहराया और थोड़ा सख्ती से कहा, हंसी-मजाक नहीं। सभी अपनी किताब में चैप्टर खोल लें। सभी लड़कियां शायद पहले ही चैप्टर पढ़ चुकी थीं, विषय ही ऐसा था कि हर एक इसे पढऩा ही चाहता है। एक ही बार में सबने किताब में वही चैप्टर निकाल लिया। मैने पढ़ाना शुरू किया। जैसे-जैसे मैं आगे बढ़ता, उनकी मुस्कुराहट और दबी-दबी हंसी की आवाज बढ़ती। मैं काफी नर्वस हो रहा था, मगर फिर मैने अपने मन को कड़ा किया और पढ़ाने लगा। मैं नारी-पुरुष की उम्र बढऩे के साथ शारीरिक विकास के बारे में बता रहा था कि अचानक मोनिका ने हाथ खड़ा किया, मैने उसकी तरफ देखा तो उसने हलकी और रहस्यमयी मुस्कुराहट के साथ पूछा,
सर ये स्तनों का विकास नारीयों के शरीर में ही क्यों होता है, पुरुषों के शरीर में क्यों नहीं?
उसके इस सवाल पर क्लास की सभी लड़कियों हंस पड़ीं। पीछे से किसी की आवाज आई पुरुषों की तरह तेरे शरीर में भी अंग होता है क्या?
मैने घूर कर देखा मगर पता नहीं चला कि किसने कहा था, लेकिन मोनिका की तरफ देखा तो वो वैसे ही मुस्कुरा रही थी, मानो उसे इस बात पर रत्ती भर फर्क न पड़ा हो।
मैने उसकी तरफ एक बार फिर देखा और सोच लिया कि आज इन लड़कियों को डिटेल में समझाना ही पड़ेगा। नहीं तो आज इज्जत नहीं बचने वाली। और मैं अपनी उसी चुहलभरी स्टाईल में समझाने लगा।
देखो मोनिका नारी गर्भ धारण करती है और नौ माह बाद बच्चे को जन्म देती है। बच्चा शुरू में मां के दूध पर ही निर्भर रहता है, इसलिए नारीयों के शरीर में स्तन विकसित होते हैं ताकि वह बच्चे को दूध पिला सके। मोनिका ने धीरे से सिर हिला दिया।
तभी अनीता ने हाथ उठाया और पूछा, लेकिन सर नारीयां ही गर्भधारण क्यों करती हैं, पुरुष क्यों नहीं?
मैने कहा इसके लिए हमें नारी और पुरुषों के जननांगो के बारे में समझना होगा।
तो समझाईए न सर, अनीता ने एक अदा के साथ कहा।
वही तो समझाने जा रहा था, मगर तुम लोगों को उल-जलूल सवाल शुरू हो गए।
सर हम तो वही पूछ रहे हैं जो चैप्टर में है। मोनिका शरारती स्वर में बोली।
ठीक है-ठीक है, मैं बताता हूं, मगर एक तरफ से तुम लोग शांत होकर बैठो।
तभी सनम बोल उठी, रहने दे मोनू, सर को शरम आ रही होगी। ज्यादा सवाल मत कर।
अब मेरे स्वाभिमान पर चोट पहुंची थी। मैं बोला, मैं तुम लोगों को पूरी तरह से समझाता हूं। देखता हूं कि शरम किसे आती है। कहीं तुम लोग ही क्लास छोड़कर मत भाग जाना। मैं अपने सुबह वाले रंग पर आ गया।
लड़कियों ने कहा सर हम नहीं भागेंगे आप हमे पूरी तरह समझाईए।
अब मैने समझाना शुरू किया। शुरुआत लड़के-लड़कियों में शारीरिक विकास से हुई। मैने कहा, जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, हारमोंस में बदलाव के चलते नए शारीरिक लक्षण प्रकट होने लगते हैं। लड़कों में दाढ़ी-मूंछों का आना, आवाज भारी होना, जैसे लक्षण और लड़कियों में स्तनों का विकास, शरीर का अनुपात बदलना और आवाज का पतली होना शुरू हो जाता है। कांखों और जननांगों में दोनों के ही बाल आने लगते हैं।
तभी पीछे से किसी ने कहा बाल क्यों आते हैं, सर। नहीं आते तो कितना अच्छा होता न। इतना सुनते ही पूरी क्लास खिलखिलाकर हंस पड़ी।
मैने आंखें तरेरते हुए कहा, पढऩे पर ध्यान तो फिजूल के सवाल नहीं।
तभी रंजना बोल पड़ी, सर सही है यदि बाल न आते तो कितना अच्छा होता। फोकट का झंझट बढ़ जाता है। अब मैं मुस्कुरा उठा यह सोचकर की इन्हें सेक्स की इस क्लास में मजा आने लगा है।
मैने कहा, देखो इनसान पहले बंदर हुआ करता था। सारे शरीर पर बाल होते थे। धीरे-धीरे विकास के क्रम में मनुष्य बनता गया और शरीर के बाल लुप्त होते गए। कुछ विशेष स्थानों पर ही रह गए हैं।
पीछे से एक चुलबुली लड़की ने कहा, ये विशेष स्थानों के बाल कब लुप्त होंगे सर।
मैं कुछ कहने ही वाला था कि तभी सनम बोल उठी, ये लुप्त हुए तो तू गंजी हो जाएगी। चलेगा क्या? फिर पूरी क्लास खिलखिला उठी। मस्ती-मजाक में क्लास चल रही थी।
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मैने आगे पढ़ाना शुरू किया- शारीरिक बदलाव के साथ लड़कियों में मासिक धर्म भी शुरू हो जाता है।
तभी एक लड़की बोली, ये मासिक धर्म क्या है सर?
अरे डफर, इसका मतलब पीरियड। समझी। उसी की एक सहेली ने कोहनी मारते हुए कहा। और मैं केवल मुस्कुरा कर रह गया। मैने आगे कहा बदलावों के साथ ही नारी-पुरुषों में विपरीत लिंग के प्रति आकर्षण उत्पन्न होने लगता है।
तभी एक लड़की पीछे से बोली सर यह तो समझ आ गया, अब आप नारी और पुरुषों के जननांगों के बारे में समझाइए।
क्यों तुझे बड़ी जल्दी है, जानने की। मोनिका चुहल करते हुए बोली।
तू नहीं जानना चाहती क्या? उसी लड़की ने शरारत से कहा और पूरी क्लास में ठहाका गूंज उठा।
मैने कहा ठीक है, अब शांत रहो और चैप्टर पर ध्यान लगाओ। अब मैं जननांगों के बारे में बताता हूं। इतना कहकर मैने पढ़ाना शुरू किया। मुझे अंदर से शरम आ रही थी, मगर ऊपर से खुद को बिंदास दिखाते हुए बताने लगा।
बोर्ड पर चाक से नारी योनि का एक टेढ़ा-मेढ़ा का डायग्राम बनाया और समझाने लगा। नारी की योनि प्रजनन का केंद्र होती है। यहीं पर अंडाणु और शुक्राणु का निषेचन होता है। इसकी संरचना में एक आंतरिक भगोष्ठ, एक बाह्य भगोष्ठ और योनि छिद्र होता है। लड़कियां बड़ी दिलचस्पी से सुन रही थीं।
आंतरिक भगोष्ठ के बीच एक दाने के समान संरचना होती है, जिसे क्लाइटेरियस कहते हैं। यह पुरुष के शिश्न के समान होती है और उत्तेजना बढ़ाने के काम आती है। क्लाईटेरियस के नीचे मूत्र छिद्र होता है और उसके नीचे योनि छिद्र।
मैं डायग्राम में एक-एक पाइंट डिटेल से बताने की कोशिश कर रहा था। उन लड़कियों की योनि, स्तन, नितंब मेरे दिमाग में घूम रहे थे। मेरा लिंग पैंट को तंबू बनाता जा रहा था। इसे लड़कियों ने भी भांप लिया था।
अभी मैं योनि की संरचना समझा ही रहा था कि तभी अनीता बोल पड़ी, सर ऐसे तो कुछ समझ नहीं आ रहा। योनि की संरचना हमे डिटेल में जानना है, क्योंकि ये हम लोगों का महत्वपूर्ण अंग है। आपके पास कोई रियल मॉडल नहीं है, जिसके जरिए आप समझा सकें।
मैने कहा मॉडल तो कोई नहीं है। तुम लोगों को किताब के डायग्राम की सहायता से ही समझना होगा। और बोर्ड पर मैने डायग्राम बनाया है न।
लेकिन सर, तभी रंजना बोली, न तो किताब के डायग्राम से समझ आ रहा है और न ही बोर्ड के चित्र से।
तो मैं क्या कर सकता हूं। रियल मॉडल कहां से लाऊं। तभी मुझे एक शरारत सूझी और मैने यूं ही कह दिया अगर तुम लोग साथ दो रियल मॉडल मिल सकता है।
लड़कियां मेरा मतलब समझ गईं, यह उनकी दबी-दबी हंसी से ही पता चल गया। फिर भी रंजना ने पूछ ही लिया, सर हम लोग आपका साथ कैसे दे सकती हैं।
मैने कहा अरे भई रियल मॉडल तो मिल नहीं सकता, मगर तुममे से कोई वालंटियर बनने को तैयार हो तो मैं योनि की संरचना गहराई से समझा सकता हूं।
हम आपका मतलब नहीं समझे, सनम ने मुंह दबाकर हंसते हुए कहा।
मेरा मतलब अगर तुममे से कोई यहां आए तो उसके जरिए मैं योनि की संरचना समझा दूंगा।
आपके कहने का मतलब हममे से कोई क्लास के सामने अपनी योनि का प्रदर्शन करे और उससे आप समझाएंगे? मोनिका ने उत्तेजित स्वर में पूछा। उसका चेहरा तमतमाने लगा था।
हां मेरा मतलब यही है। मैने भी ठसक में कह दिया।
पूरी क्लास में खुसुर-पुसुर शुरू हो गई। मैं समझ गया कि तीर निशाने पर लगा है और अब ये लोग ज्यादा डिटेल में समझने की जिद नहीं करेंगी।
मैं अभी बोर्ड की तरफ घूमा ही था कि एक लड़की की आवाज आई- सर आप योनि की संरचना तो समझा दोगे, हम मदद भी कर देंगी, मगर शिश्न की संरचना कैसे समझाओगे। मैं समझ गया कि अब मेरी खिंचाई का समय आ गया।
मैने कहा, क्या मतलब?
मतलब तो साफ है सर। अनीता बोली, हममे से कोई एक वालंटियर बन जाएगी, मगर शिश्न की संचरना समझाने के लिए आपको एक और वालंटियर की जरूरत पड़ेगी न, वह कहां से लाएंगे।
तभी मोनिका शरारत से बोली, क्यों सर नहीं हैं क्या। ये खुद वालंटियर बन जाएंगे। और इतना सुनते ही एक बार फिर हंसी गूंज उठी। मेरा चेहरा शरम से लाल हो रहा था, मगर मैने खुद को नियंत्रित कर लिया।
तभी मोनिका बोली, क्यों सर आप बनेंगे न वालंटिर।
अब नहले पर दहला मारने की बारी मेरी थी। मैने कहा- ठीक है मैं बन जाउंगा। मगर एक शर्त पर?
क्या सर, मोनिका ने पूछा।
मैने कहा कि पहली वालंटियर तुम बनोगी।
इतना सुनकर मोनिका का चेहरा तमतमा गया। गाल लाल हो गए। वह चुप हो गई।
मैने कहा, क्यों निकल गई न हवा। अब बोलो क्या बोलती हो।
तभी अनीता बोली, मोनू खड़ी हो जा। आज दिखा दे सर को कि लड़कियां किसी मामले में कम नहीं हैं। मगर अनु, मैं कैसे। मैं ही क्यों। और भी लड़कियां हैं क्लास में।
तूने ही सर को वालंटियर बनने को कहा है और वे तैयार भी हो रहे हैं। अब तुझे उनकी बात माननी ही होगी। नहीं तो हम शिश्न की संरचना कैसे जानेंगे।
तभी रंजना बोली, हां मोनू खड़ी हो जा। शरमा मत। हम सब तेरी सहेलियां हैं और सर से कैसा शरमाना। उनसे तो हम इतनी मस्ती-मजाक करते ही हैं न।
सारी क्लास की लड़कियां उसका हौंसला बढ़ाने लगी। कम-ऑन मोनिका, तुझे दिखाना है कि हम कम नहीं। सर को आज हमारी ताकत का अहसास हो जाना चाहिए। कम ऑन मोनू। खड़ी हो जा।
मैं उनकी बातें सुनकर मुस्कुराए जा रहा था। मुझे लग रहा था कि आज मेरी लॉटरी खुलने वाली है। अगर मोनिका मान जाती है तो मेरा सपना पूरा हो जाएगा और नहीं मानी तो मैं भी नंगा होने से बच जाऊंगा। मगर तभी मैं आश्चर्यचकित रह गया, जब मोनिका झटके से खड़ी हो गई। पूरी क्लास ने तालियां बजाकर उसका स्वागत किया।
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मैं हक्का-बक्का रह गया। मोनिका धीरे-धीरे चलती हुई मेरी तरफ आ रही थी। उसने मेरी आंखों में आंखें डाल रखी थीं। उसकी आंखों में आत्मविश्वास झलक रहा था और चेहरा उत्तेजना से तमतमा रहा था। पूरी क्लास में अजब सी खामोशी थी और कभी-कभी दबी-दबी हंसी की आवाज आ जाती थी। सब उसे दिलचस्पी से एकटक निहार रहे थे। मोनिका चलती हुई डायस पर आ गई, जहां मैं खड़ा था। मेरे सामने एक छोटी टेबल और बगल में एक स्टूल रखा था।
मोनिका ने पूछा, बोलिए सर अब क्या करना है।
मैने एक पल उसे देखा और पूछा, आर यू श्योर। तुम कर सकोगी यह सब।
हां सर, अभी आपने मेरी हिम्मत देखी ही कहां है। आप तो बोलो क्या करना है।
मैने कहा ठीक है मोनिका। तुम स्टूल पर बैठ जाओ।
और वह स्टूल पर बैठ गई। उसने रोज की तरह स्कर्ट और टॉप पहन रखा था। मैने उससे पूछा नर्वस तो नहीं हो। उसने न में गर्दन हिला दी।
फिर मैने क्लास से कहा, मैं तुम लोगों को नारी शरीर में आने वाले सारे लक्षणों को डिटेल में समझाता हूं।
मैं मोनिका के पास पहुंचा और उसका टॉप ऊपर करने लगा। वह एकटक मेरी आंखों में देखे जा रही थी। उसने कुछ नहीं कहा। टॉप के नीचे उसने सफेद ब्रा पहनी हुई थी। मैने हाथ पीछे कर ब्रा का हुक खोल दिया और उसे भी उठा दिया। उसके स्तन कबूतरों की तरह फडफ़ड़ाते हुए बाहर को निकल गए। पूरी क्लास की सांस जैसे रुक गई हो। मेरा लिंग पैंट को पूरी तरह तंबू बना चुका था। मोनिका के सुडौल बड़े-बड़े स्तन देखकर मन में आया कि अभी मुंह लगाकर चूसने लगूं।
मैने भावनाओं को काबू में किया और क्लास की तरफ मुड़कर बोला- गल्र्स ये स्तन हैं। एक उंगली मोनिका के एक स्तन से छुआकर बोला,- इनका विकास 12-13 साल की उम्र में ही शुरू हो जाता है और आप लोगों की उम्र तक पूरा विकास हो चुका होता है। मगर इनका असली विकास तब होता है, जब नारी गर्भवती होती है। उस समय स्तनों में दूध आता है तो स्तन और बढ़ते हैं और अपना वास्तविक आकार पाते हैं।
मैने एक उंगली स्तन के निपल पर रखी और कहा, ये निपल है। इनके बीच में एक बारीक छेद होता है, जिससे दूध निकलता है।
तभी पीछे से एक शरारती लड़की बोल पड़ी, सर मोनू के स्तन से दूध निकालकर दिखाओ न।
मोनिका ने गुस्से से आंखें तरेरी और मैं उसकी बात को नजरअंदाज करते हुए बोला, स्तनों में दूध तभी आता है, जब नारी गर्भवती होती है। बच्चे के जन्म के बाद स्तनों से दूध निकलना शुरू होता है।
ओह, वह लड़की इस तरह बोली, जैसे कुछ खो गया हो।
मैने मोनिका से हाथ उठाने को कहा। उसने जैसे ही हाथ उठाया, उसके स्तन थराथरा उठे। उन सांवले तने हुए स्तनों को देखकर मेरा लिंग काबू से बाहर हो रहा था।
मैने उसकी कांखों की तरफ इशारा करते हुए कहा कि नारी शरीर में दो ही स्थान ऐसे हैं, जहां अनचाहे बाल होते हैं। एक है हाथों का जोड़ और दूसरा टांगों का जोड़। आप लोग देखिए दोनों ही स्थान ऐसे हैं, जो कपड़ों से ढंके होते हैं, इसलिए बाल नजर नहीं आते हैं।
इसके बाद मोनिका ने हाथ नीचे कर लिया। मैने उसकी आंखों में एक बार फिर झांका। मानो मैं आगे के लिए इजाजत मांग रहा था। मोनिका ने आंखों में ही स्वीकृति दे दी, मगर उसका चेहरा शरम से लाल हो गया।
मैने मोनिका को खड़े होने का इशारा किया। वह खड़ी हो गई। इसके बाद मैने उसकी स्कर्ट को ऊपर तक सरका दिया। उसकी मोटी-चिकनी जांघों के बीच कसी सफेद रंग की पैंटी। उफ मेरा लिंग झटके मारने लगा और पैंट में उसका रहना दर्द पहुंचाने लगा। मेरी इच्छा हो रही थी अभी अपना मुंह इसकी पैंटी पर रख दूं। क्लास की सभी लड़कियां सांस रोके देख रही थीं। मैने मोनिका की पैंटी में उंगली फंसाई और उसे धीरे-धीरे नीचे सरकाने लगा। मोनिका ने आंखें बंद कर लीं और लड़कियों की आंखें फैलने लगी। पैंटी जैसे-जैसे नीचे सरक रही थी, मेरी धड़कने बढ़ रहीं थीं। पहले ऊपर के हलके बाल नजर आए, फिर बालों का जंगल दायरा बढ़ाने लगा और फिर नजर आया उसकी योनि का पहला कटाव, जो धीरे-धीरे बड़ा होता गया और नीचे टांगों के जोड़ पर आकर गुम सा गया। मैं एकटक उसकी बालों से ढंकी सांवली योनि को निहार रहा था।
पैंटी को टांगों से निकालकर लरजते स्वर में मोनिका से कहा- टेबल पर बैठ जाओ।
वह स्टूल के सामने से हटी और टेबल पर बैठ गई। उसकी स्कर्ट अब भी उठी हुई थी। शरम से चेहरा लाल था, मगर उसने आंखें खोल दी थीं और नजरें लगातार मुझ पर ही टिकी थीं। मैने उसकी दोनों टांगों के पास स्टूल रख दिया। उसकी दोनों टांगों को स्टूल पर रखने को कहा। मोनिका ने टांगें स्टूल पर रख दी। उसकी योनि की दरार थोड़ी खुल सी गई। मै गहराई से योनि की संरचना समझाने और समझने जा रहा था और इसका पूरा इंतजाम करना था। मेरा लिंग जोर से दर्द करने लगा। उसकी योनि से आ रही मादक खुशबू से मैं मदहोश होता जा रहा था।
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मैं क्लास की तरफ मुड़ा। मोनिका को इस रूप में देखकर सभी लड़कियों के मुंह खुल से गए थे।
माहौल को हलका करने के लिए मैने मुस्कुराते हुए कहा, चलो अब बताओ योनि की संरचना में क्या-क्या समझना है। अब हमारे सामने रियल मॉडल है।
रंजना हंस पड़ी और बोली, वाह मोनू तू तो शेर दिल निकली। सर आप शुरू से समझाओ। जो डायग्राम में समझा रहे थे।
मैने मोनिका की योनि की तरफ इशारा करते हुए कहा, मोनिका समझाने के लिए मुझे इसे छूना होगा। उसने सहमति में सिर हिला दिया।
मैं मोनिका की टांगों के पास घुटनो के बल बैठ गया। पर उंगली रखते हुए बोला, टांगों के बीच इस पूरी तिकोनी रचना को ही योनि कहते हैं। मैने महसूस किया कि मेरे उंगली से छुआते ही मोनिका के बदन में सिहरन सी दौड़ गई थी। उसके रौंगटे खड़े हो गए थे। मैने उसकी टांगों को थोड़ा और फैला दिया, जिससे उसकी योनि की दोनों फांके पूरी तरह खुल गई। मैने पहले ऊपर उंगली रखी और बताया कि इसे बाहरी भगोष्ठ कहते हैं। बाल इसी पर आते हैं। अंदर की तरफ उंगली रखते हुए कहा, इसे आंतरिक भगोष्ठ कहते हैं और उंगली को थोड़ा आगे सरकाते हुए कहा, इसे क्लाइटोरियस कहते हैं। इसके नीचे मूत्र छिद्र होता है, जहां से लड़कियां मूत्र विसर्जन करती हैं। मुझे मोनिका की योनि के गीलेपन का अहसास हो रहा था। मोनिका भी नीचे झुककर देख रही थी। उसकी आंखों में वासना के लाल डोरे तैरने लगे थे।
मैने टांगों को थोड़ा और उठाया, जिससे उसकी योनि का छिद्र दिखने लगे। उसने टांगे कुछ ज्यादा ही मोड़ ली, जिससे उसका गुदा द्वार भी नजर आने लगा। मैने उंगली से इशारा कर कहा, इसे योनि छिद्र कहते हैं। इसी में प्रजनन होता है। कुंवारी लड़़कियों में इस छिद्र पर एक पतली झिल्ली होती है। प्रथम बार सहवास के समय वह झिल्ली टूटती है।
तभी पीछे से सनम बोली, सर झिल्ली नजर नहीं आ रही।
मैने मोनिका की योनि को दोनों उंगलियों से थोड़ा फैलाया और उसकी योनि छिद्र खुल सा गया। अंदर गुलाबी सी एक झिल्ली नजर आ रही थी। मैने कहा, यह है वह झिल्ली।
सर, तब तक पीछे से एक चुलबुली लड़की बोली। इसकी योनि पर बाल कितने हैं। कुछ ठीक से समझ नहीं आ रहा।
तो बाल कहां ले जाएं। रंजना बोल पड़ी।
नहीं मेरा मतबल बाल नहीं होते तो संरचना समझने में आसानी होती न।
तो तू ही खड़ी हो जा। और आ जा डायस पर।
मेरी भी योनि पर बाल हैं। वह लड़की कहने को तो कह गई, मगर फिर बोली- तू क्यों नहीं जाती। तू तो गोरी-चिट्टी है। तेरी योनि पर बाल भी नहीं होंगे।
क्यों तू क्या देखने आई थी कि बाल हैं या नहीं। रंजना गुस्से से बोली।
शांत रहो तुम लोग। मैं थोड़ा जोर से बोला। इसका कोई उपाय नहीं है। अमूमन इस उम्र की हर लड़की की योनि पर बाल होते ही हैं। ऐसे में इसी तरह समझना होगा।
मगर सर आजकल तो कई लड़कियां बाल साफ करके रखती हैं। सनम ने कहा।
मैने कहा तो ठीक है, ईमानदारी से तुम लोग ही बता दो किस की योनि पर बाल नहीं हैं।
क्लास में खुसुर-पुसुर शुरू हो गई। मोनिका यह देखकर विजयी भाव से मुस्कुरा रही थी। वह बोली, छोडि़ए सर हर कोई मेरी तरह हिम्मतवाला नहीं हो सकता।
यह सुनना ही था कि अनीता सहित दो अन्य लड़कियों ने हाथ-खड़े कर दिए। मैने गौर से उनके चेहरों की तरफ देखा। मेरी नजरें तो अनीता पर ही थीं।
मैने कहा, ठीक है तुम लोग तैयार हो। तीनों ने सिर हिला दिए। मैने अनीता को आने का इशारा किया। वह उठी और मेरी तरफ आने लगी।
पीछे से सनम बोली, अनु आज दिखा दे मोनू को कि तू भी किसी से कम नहीं है।
मैने मोनिका से कहा, तुम इस तरफ खड़ी हो जाओ। मोनिका साइड में खड़ी हो गई। उसने स्कर्ट छोड़ दी, जिससे उसकी योनि ढंक गई और टॉप भी नीचे कर लिया। पैंटी उसकी साइड में ही पड़ी थी।
अनीता ने जींस-टॉप पहन रखा था। मैने कहा इसे उतारो। उसने बेल्ट खोलकर जींस नीचे सरकाने लगी। जींस टाइट थी, इसलिए धीरे-धीरे नीचे सरकी। उसने वी शेप की मॉडर्न पिंक पैंटी पहन रखी थी। गोरी, लंबी, चिकनी जांघों के बीच कसी पैंटी कयामत ढा रही थी। मेरा लिंग और सख्त हो गया। योनि का उभार पैंटी से ही नजर आ रहा था। मैने उससे टेबल पर बैठने को कहा। वह मुड़ी और उफ क्या नजारा था। पिंक सिल्की पैंटी में कसे चौड़े गोरे, चिकने नितंबों का दर्शन ऐसा था कि मैं हाय करके रह गया। अनीता टेबल पर मोनिका के स्थान पर बैठी थी। मै उसके पास गया और उसकी आंखों में झांकते हुए एक झटके में उसकी पैंटी नीचे सरका दी।
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उफ... अनीता की गोरी और एकदम सपाट योनि। बालों का नामो-निशान तक नहीं। मानो उसने आज ही साफ किए हों। योनि के बीच स्पष्ट गुजरती दरार। मैने स्टूल पर पैर रखने को कहा और अपनी उंगली से योनि की दरार को थोड़ा फैला दिया।
मेरी हालत खराब हो रही थी, मगर मैं क्लास की तरफ मुड़कर बोला, अब अच्छे समझ लो कि योनि की संरचना कौन-कौन से अंग होते हैं। और हां मोनिका तुम भी देख लो। अपनी योनि में तो तुम ठीक से देख नहीं पाई होओगी। मोनिका ने शरारत से मुस्कुराते हुए सिर हिला दिया। मैने एक बार फिर संरचना दोहरा दी और मेरी उंगली उसकी चिकनी योनि पर फिसल सी रही थीं। मैने उसकी टांगों को खोलकर योनि छिद्र दिखाया।
तभी, रंजना बोली, अरे सर इसकी योनि छिद्र में तो झिल्ली नजर ही नहीं आ रही। फिर वह शरारत से बोली, क्यों अनु सहवास कर चुकी है क्या।
अनीता का चेहरा शर्म से लाल हो गया। मैने बात संभालते हुए कहा, कई बार खेलने-कूदने और साइकिल चलाने से भी झिल्ली टूट जाती है।
तब अनीता नार्मल हुई और गुस्से से बोली, तेरी तरह नहीं हूं, जो इस तरह करूं, समझी।
रंजना ने कान पकड़े तो माहौल नार्मल हुआ। मैं एकटक अनीता की योनि की निहारे जा रहा था।
तभी सनम शरारत से बोल उठी, ऐसे क्या देख रहे हैं सर। क्या कभी योनि नहीं देखी क्या।
पीछे से एक लड़की बोली, योनि तो देखी होगी, मगर ऐसी खूबसूरत योनि देखने को कहां मिली होगी। सच अनीता यू आर सो लकी।
एक और लड़की बोली, नहीं यार सर की पैंट तो तभी तंबू बन गई थी, जब मोनू की योनि देखी। देख नहीं रही है क्या?
अरे सर क्यों उसे तकलीफ दे रहे हो। उसे बाहर निकाल लो नहीं तो बेचारा अंदर ही तड़पकर मर जाएगा। और फिर कुछ देर बाद निकालना ही है।
मोनिका ने लरजते हुए कहा, हां सर योनि की संरचना समझ ली अब शिश्न की संरचना समझनी है। अब आपकी बारी है।
मैं बेचारगी से उसका चेहरा देख रहा था, जिस पर वासना और शरारत के मिले जुले भाव थे। वासना से सभी लड़कियों के चेहरे दमक रहे थे।
मैं खड़ा था कि तभी अनीता उसी हालत में उठी और बोली, मोनू सर ऐसे नहीं मानने वाले, अब हमे क्लास लेनी पड़ेगी।
दोनों ने मुझे पकड़कर टेबल पर बैठा दिया। मोनिका मेरी पैंट का बेल्ट खोलने लगी। मैं रोकना चाहकर भी उन्हें रोक नहीं पा रहा था। बेल्ट खुलते ही अनीता ने पैंट सरका दी और मोनिका ने झटके से मेरी अंडरवियर खींचकर नीचे कर दी। मेरा लना हुआ लिंग दोनों के सामने था। पूरी क्लास उचक-उचककर देखने लगी।
पीछे से आवाज आई, अरे तुम दोनों सामने से हटो। अकेली ही देख डालोगी क्या।
दोनों मुस्कुराते हुए हट गईं। अनीता अब भी नीचे से नंगी थी, जबकि मोनिका की योनि को स्कर्ट ने ढंक रखा था। अनीता की योनि देख-देखकर मेरा लिंग झटके ले रहा था। तभी मोनिका ने मेरा लिंग अपने हाथ में थाम लिया। मेरा लिंग काबू से बाहर हो गया। सभी एकटक उसे देखे जा रही थीं।
मैने लरजते हुए कहना शुरू किया, इसे लिंग कहते हैं। यह पुरुष जननांग है। इसका अग्रभाग शिश्नमुंड कहलाता है। इसके बीच एक छिद्र होता है।
कैसा छिद्र सर, रंजना लरजते हुए बोली।
मैने लिंग की ऊपर की चमड़ी हटाई और छिद्र दिखाते हुए कहा, यह है। इसी से मूत्र विसर्जन किया जाता है और मैथुन या संभोग के दौरान इसी से नारी की योनि में वीर्य छूटता है, जिसमें शुक्राणु होते हैं। इन्हीं से अंडाणुओं का निषेचन होता है।
सनम बोली, सर ये नीचे थैली कैसी लटक रही है।
इसमें टेस्टीज होती हैं। इसमें शुक्राणु बनते हैं। चूंकि शुक्राणु शरीर के तापमान पर मर जाते, इसलिए बाहर थैली में टेस्टीज होती हैं। इसी तरह नारी शरीर में योनि के ऊपर गर्भाशय के पास ओवरी होती हैं, जिनमें अंडाणु बनते हैं।
मोनिका अब भी मेरा शिश्न उसी तरह थामे हुए थे। मैने आगे कहना जारी रखा, मैथुन के दौरान शिश्न को नारी की योनि में घुसाया जाता है। योनि के अंदर शिश्न का घर्षण होता है और फिर इससे वीर्य निकल पड़ता है।
तभी पीछे से कोई बोल पड़ी, घर्षण कैसे होता है सर?
क्लास अब सकते से बाहर आ गई थी। सभी खिलखिला उठीं। उनकी निगाहें मेरे लिंग से हट नहीं रही थीं।
मैने कहा, अब घर्षण या मैथुन प्रक्रिया तो समझाई नहीं जा सकती।
क्यों सर, उस लड़की ने बड़ी ही मासूमियत से पूछा।
क्यों मतलब। अब यहां मैथुन कैसे समझाया जाए?
अरे सर दो वालंटियर हैं तो आपके पास। चाहे जिसे इस्तेमाल कर लो।
पूरी क्लास फिर हंसने लगी। मैने मोनिका और अनीता की आंखों में देखा उनमें वासना का सागर उमड़ रहा था। मानो दोनों इसके लिए तैयार हों। मगर मैं जानता था, पूरी क्लास के सामने यह नहीं हो सकता।
तभी एक और लड़की बोली। सर मैथुन की पूरी प्रक्रिया भले ही मत समझाओ मगर इतना तो बता दो कि शिश्न, योनि में कैसे जाता है?
देखो यह संभव नहीं है। इसके लिए मुझे किसी की योनि में शिश्न डालना होगा, जो कोई पसंद नहीं करेगा।
एक लड़की बोली, सर आप तो पसंद करोगे न। और सभी खिलखिलाकर हंसने लगे।
मैं थोड़ा गुस्से का दिखावा करते हुए बोला, शांत रहो तुम लोग। उल-जलूल प्रस्ताव मत दो। इतना समझा दिया न बस बहुत है।
अनीता लरजते हुए बोली, सर एक बार बता ही दो इन लोगों कि मैथुन की शुरुआत कैसे होती है। आप शिश्न योनि में मत घुसाना मगर कैसे घुसाया जाता है, यह तो बता ही दो।
मैने कहा, देखो मैं बता दंूगा, मगर अब सभी को इसी पोजिशन में आना होगा, जैसी कि तुम दोनों हो। मैं एक-एक बार सभी के साथ यह क्रिया दोहराउंगा, ताकि बाहर तुम लोग एक दूसरे को चिढ़ा न सको। पूरी क्लास में खामोशी सी छा गई।
और फिर अचानक मोनिका बोली, क्यों नहीं सर। यह ठीक रहेगा। क्यों लड़कियों तैयार हो।
सबने मेरे लिंग को देखते हुए सहमति में सिर हिला दिया।
मैने एक और दांव फेंकते हुए कहा, मगर मैथुन के पहले कुछ क्रियाएं और होती हैं। उन्हें भी करना आवश्यक है। यदि वे न की गईं तो मैथुन को पूरा नहीं माना जा सकता। मुझे वे क्रियाएं भी करनी होंगी। इसके लिए भी तुम लोगों को तैयार होना होगा।
सभी एक साथ बोल उठीं, हम तैयार हैं सर। आप शुरू करो। आज सेक्स एजुकेशन पूरी तरह समझा और सिखा दो।
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मैं टेबल से उठ खड़ा हुआ और कहा, शुरुआत मोनिका से ही होगी, क्योंकि इसी की हिम्मत ने सबको हिम्मत दी। सब उत्सुकता से देखने लगे कि अब मैं आगे क्या करता हूं।
मैं मोनिका के करीब गया और उसका हाथ पकड़कर होंठ चूम लिए। उसने आंखें बंद कर लीं। मैं धीरे-धीरे उसके सांवले चेहरे पर मदहोश कर देने वाले होंठ चूमता रहा। मेरे हाथ उसकी स्कर्ट के ऊपर से ही उसके गोल-मटोल, गुदाज नितंबों पर थे। मैने उसका टॉप ऊपर किया। उसके स्तन आजाद हो गए। मैं होंठों से उन पर प्यार बरसाने लगा। स्तनों को हाथों से धीरे-धीरे सहलाते, दबाते हुए एक-एक उनके निपल से प्रेम रस चूसने की कोशिश कर रहा था। पूरी क्लास में सी...सी.... की आवाज गूंज रही थी। इधर अनीता मेरे पैरों के पास बैठ गई और मेरा लिंग थाम लिया।
मैने मोनिका को धीरे टेबल पर बैठाया और उसकी स्कर्ट ऊपर कर दी। उसकी सांवली, बालों से ढंकी योनि एक बार फिर मेरे सामने थी और इस बार मैं मनमानी कर सकता था। मैने हाथों से धीरे से उसे सहलाया और फिर अचानक अपने होंठ उस पर रख दिए। पूरी क्लास में सिसकारी की जोरदार आवाज गूंजी, एक मोनिका की और बाकी दूसरी लड़कियों की। उसकी योनि से आती पेशाब और पसीने की मिलीजुली मादक महक ने मेरे होश छीन लिए। मैं जीभ निकालकर उस महक को पीने की कोशिश करने लगा। मोनिका जोर-जोर से सिसक रही थी। उसके साथ पूरी क्लास में सिसकारी गूंज रही थी।
मेरी जीभ मोनिका की योनि के दरार के बीच दाने को सहला रही थी। मूत्र द्वार से अचानक थोड़ा सा मूत्र छलक आया, जिसे मैने चाट लिया। नमकीन गरम स्वाद ने मुझे पूरी तरह बैचेन कर दिया। मैने आंख उठाकर देखा तो मोनिका के हाथ मेरे बालों पर थे और वह एकटक मुझे देखे जा रही थी। उसने आंखों के इशारे से हौले से पूछा, क्या? मैने भी आंखों के इशारे से ही कहा, बस यही। वह शायद समझ गई कि मैं क्या चाह रहा हूं। उसने हलके-हलके पेशाब करना शुरू कर दी। मेरा मुंह उसकी योनि से सटा हुआ था। उसकी योनि से निकलने वाली प्रेम सुधा रूपी नमकीन जल मेरे मुंह में जा रहा था, जिसे मैं धीरे-धीरे पी रहा था। उसका मूत्र विसर्जन रुकते ही जोर-जोर से योनि को चाटने लगा। योनि छिद्र पर जीभ घुमाने लगा। मेरी जीभ उसके गुदा द्वार पर भी पहुंच रही थी और मैं उसे भी प्यार से सहला देता। और अचानक मोनिका ने मेरा सिर जोर से योनि पर दबा लिया। मैं समझ गया यह चरम पर आ गई और मैने अपने जीभ को ढीला छोड़ दिया।
मोनिका की आंखों में तृप्ति के भाव थे। उसने प्यार से हौले से मेरा सिर सहलाया और टेबल से उठ गई।
मोनिका के बाद मैने अनीता को उसी टेबल पर बैठा दिया। अनीता नंगी थी। मैने उसके रसीले होंठों को चूसना शुरू कर दिया, जबकि मोनिका मेरा लिंग सहला रही थी। अनीता का टॉप उतारकर उसके स्तनों को बारी-बारी अपनी जीभ से सहलाया। गोरे स्तनों पर गुलाबी निपल मेरे शरीर में आग लगा रहे थे। मैने टेबल पर लिटा दिया और उसकी गोरी-चिकनी योनि को धीरे-धीरे सहलाने लगा। अनीता आंखें बंद किए पड़ी थी। मैने जैसे ही अपने होंंठ उसकी योनि पर रखे, उसे मुंह से आवाज निकली, ओ...ह.... सर।
मैने धीरे-धीरे जीभ का कमाल उसकी योनि पर भी दिखाना शुरू कर दिया। इधर मोनिका मेरा लिंग सहलाते-सहलाते चूमने लगी। मेरी उत्तेजना चरम पर पहुंच रही थी। मैने देखा पूरी क्लास इस सीन को बुत बनी देख रही थी। सबका हाथ अपनी योनि पर था। अनीता की गोरी चिकनी योनि को जी-भरके चाटने के बाद मैं हटा। उसके चेहर पर भी तृप्ति के भाव थे।
मै क्लास की तरफ मुड़ा और कहा अरे तुम लोग अब तक ऐसे ही बैठे हो। इतना कहकर मैने हाथ पकड़कर सनम को अपनी तरफ खींचा। उसके बदन की मादक खुशबू पीने का समय अब आ गया था। मैने उसकी कुर्ती उतारी और सलवार का नाड़ा खींच दिया। सलवार सरकती हुई नीचे गिर गई। उसके हाथ उठाकर उसके बगल में मुंह डाल दिया और खुशबू को अपने जेहन में समाने की कोशिश करने लगा। इसके बाद उसकी ब्रा और पैंटी सरका दी। वह एकदम नंगी मेरे सामने थी। मैने उसके स्तनों को बारी-बारी चूसा और फिर नीचे बैठकर उसकी योनि को निहारने लगा। गोरी योनि पर भूरे बाल, ऊपर की तरफ एक काला तिल। इतनी सेक्सी लग रही थी कि जैसे खा जाओ। मै उस पर मुंह सटाकर उसे चूसने लगा। उसकी योनि से अजीब सी मादक सुगंध आ रही थी, जो मुझे मदहोश किए जा रही थी। अभी मैं सनम के साथ यह सब कर ही रहा था कि रंजना उठी और उसने भी अपने कपड़े उतारने शुरू कर दिए। रंजना की देखा-देखी दूसरी लड़कियां भी अपने-अपने कपड़े उतारने लगीं।
मेरा मुंह सनम की योनि से चिपका हुआ था और मैं जी-भर कर उसे चूस रहा था। सनम मेरे सिर को पकड़े खड़ी-खड़ी सिसक रही थी। मोनिका और अनीता मेरी टांगों के पास बैठी मेरे लिंग को सहला रही थीं, उसे चूम रही थीं। अचानक रंजना उनके पास पहुंची और उसने बिना कोई अवसर दिए मेरा लिंग अपने मुंह में डाल लिया और लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी। सनम की योनि को चाटने के बाद मैने उसे घुमाया और गोरे-चिकने नितंबों के बीच मुंह टिकाकर चूमने लगा। नितंबों के बीच जीभ फिराता तो उसके शरीर में सिहरन दौड़ जाती।
तभी रंजना खड़ी हुई और बोली - सर अब मेरी बारी है। उसका स्वर कांप रहा था। इतना कहकर वह टेबल पर लेट गई।
मैं उसके पास आया और बारी-बारी से उसके स्तनों को चूसने लगा। मेरा हाथ उसकी योनि पर थिरक रहा था, जिस पर हलके रेशमी बाल थे। मेरी उंगली उसकी योनि की फांकों के बीच गुजरती तो वह कांप जाती। मैं नीचे सरका और उसके पेट को चूमते हुए योनि पर चुंबन अंकित किया। योनि की फांकों को खोला और जीभ निकालकर चाटने लगा। मैं इस तरह उसकी योनि चाट रहा था, जैसे उस पर शहद या मक्खन लगा है और वह उसी गति से अपने नितंबों को उछाल-उछालकर मेरा साथ दे रही थी। इधर सनम के साथ बाकी लड़कियां भी नीचे बैठकर मेरा लिंग बारी-बारी हाथ में लेकर सहला रही थीं।
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लड़कियों से सब्र नहीं हुआ और सबने मिलकर मुझे रंजना के ऊपर से हटाया। ऐसा किया जाना उसे पसंद नहीं आया। वह कुछ कहने ही वाली थी, मगर कह नहीं सकी। अनीता ने उसे टेबल से हटाया और सबने मिलकर मुझे टेबल पर लिटा दिया। मेरा तना हुआ लिंग छत की तरफ मुंह किए हुए कुतुबमीनार की तरह खड़ा था। लड़कियां बारी-बारी उसे देखने और सहलाने लगीं। उनमें मानों लिंग को हाथ में थामने की होड़ सी लगी हो। तभी रंजना झुकी और उसने लिंग को मुंह में ले लिया और चूसने लगी। इसके बाद तो सिलसिला सा शुरू हो गया। हरेक लड़की बारी-बारी मेरे लिंग को मुंह में लेती और कुछ देर चूसने के बाद हट जाती।
रंजना को शायद अभी संतुष्टि नहीं मिली थी। वह मेरे मुंह की तरफ आई और टांगे मेरे सिर के दोनों तरफ की। अपनी योनि को मेरे मुंह से सटाकर उस पर बैठ गई। एक सीधी लड़की की सेक्स उत्तेजना देखकर मैं हैरान था।
मोनिका ने मुस्कुराते हुए कहा, क्यों सहन नहीं हो रहा है क्या।
रंजना कुछ नहीं बोली बस मेरे मुंह पर अपनी योनि को रगडऩे लगी। मैं समझ गया इसे संतुष्ट करना होगा। मैने जीभ निकाली और उसकी योनि को अपने होंठों के बीच जकड़कर जोर-जोर से चूसने लगा। रंजना के मुंह से जोर-जोर से आहें निकल रही थी। इधर मोनिका के मुंह में मेरा लिंग था। वह उसे प्यार से हौले-हौले चूस रही थी। मेरा मुंह निरंतर रंजना की योनि पर चल रहा था। मेरी जीभ उसके योनि छिद्र में घुसने के बेताब हो रही थी। उसकी योनि से निकलने वाला चिकना, नमकीन द्रव मैं चाटता जा रहा था। मेरी जीभ उसके गुदा द्वार तक भी पहुंच रही थी। मैं उसे भी चाटने में आनंद महसूस कर रहा था। मैं अभी उसकी योनि को और चूसना चाहता था कि तभी रंजना ने जोर से अपनी योनि मेरे मुंह पर दबा दी और हांफने सी लगी। इसके बाद उठ गई और उन लड़कियों में शामिल हो गई जो मेरे लिंग से खेल रही थीं।
मेरी प्यास अभी बुझी नहीं थी। मैने आंखों ही आंखों में मोनिका को इशारा किया और वह समझ गई। वह आकर रंजना की ही तरह मेरे मुंह पर योनि टिकाकर बैठ गई। मगर मेरे दिल में कुछ और था। मैने मोनिका के नितंबों पर हाथ लगाकर थोड़ा उठाया। उसके नितंबों के बीच उसके गुदा द्वार को ध्यान से देखने लगा। मोनिका ने टांगों पर अपने शरीर का भार ले रखा था। मैं उसके नितंबों के बीच उस भूरे छल्ले को देख रहा था, जो मुझे आकर्षित कर रहा था। मैने मोनिका को थोड़ा सा आगे सरकाया और हाथों से उसके नितंबों को अपनी तरफ खींचा। मोनिका के नितंबों के बीच मेरा मुंह फंस गया और मैने धीरे उस भूरे छल्ले को चूम लिया। मोनिका के लिए भी एक अलग आनंद था। वह हौले से बैठ सी गई और मैं जीभ निकालकर उस भूरे छल्ले को चाटने लगा। मेरा लिंग कोई लड़की चूस रही थी। मोनिका उसी हातल में झुकी और उसके नितंब और फैल गए। मैं जोर-जोर से उसके गुदा द्वार को चूसने लगा। तभी मोनिका ने उस लड़की के मुंह से मेरा लिंग निकाला और अपने मुंह में डाल लिया।
मैं कुछ देर मोनिका का गुदा द्वार चूसता-चाटता रहा, उसमें जीभ घुसडऩे की कोशिश करता रहा। वह भूरा छल्ला फैलता-सिकुड़ता रहा। फिर मैने इशारा किया और वह उठ गई।
मैने कहा, अब समय आ गया कि मैं मैथुन की प्रक्रिया समझाऊं। एक-एक कर टेबल पर लेट जाओ। मेरा इतना सुनते ही सबसे पहले मोनिका टेबल पर लेट गई।
मैने उसकी टांगों को थोड़ा सा फैलाया और लड़कियों से कहा, ये योनि छिद्र देख रही हो न। सबने हां में गर्दन हिलाई।
मैने अपना शिश्न हाथ में पकड़ा और मोनिका के योनि छिद्र पर रख दिया। मैथुन के लिए इस तरह से लिंग को योनि छिद्र पर रखा जाता है और फिर प्यार से धीरे-धीरे इसमें घुसाया जाता है। पहली बार में लड़की को दर्द होता है, इसलिए ऐहतियात से घुसाना चाहिए। उसके अन्य अंगों को सहलाते हुए, प्यार के इजहार के साथ ताकि उसे तसल्ली मिल सके।
इधर मेरे लिंग का स्पर्श अपनी योनि पर पाकर मोनिका का पूरा शरीर कांप रहा था। वह हौले से सरगोशी के से अंदाज में बोली, सर कैसे घुसाते हैं, घुसाईए न।
मैने कहा, नहीं मोनिका अभी तुम कुंवारी हो, मैं तुम्हारी योनि में लिंग नहीं घुसा सकता।
मोनिका बोली प्लीज सर, बहुत जरूरत है।
मैने कहा नहीं मोनिका। बात पहले हो चुकी है कि मैं केवल बताउंगा कि कैसे घुसाते हैं, घुसाउंगा नहीं।
सर कुछ भी कीजिए, मगर मुझे चैन नहीं आ रहा।
मैने कहा ठीक है रुको। मैं फिर से उसकी चूत चाटने लगा और उंगली से उसकी योनि का छिद्र सहलाने लगा। थोड़ी ही देर में वह चरम पर पहुंच गई और ढीली पड़ गई। मैं हट गया और वह टेबल से उतर गई।
तभी अनीता लपककर टेबल पर लेट गई और बोली सर मैं कुंवारी नहीं हूं। आप मेरी योनि में इन लोगों को बता दीजिए कि मैथुन कैसे होता है।
मैं मुस्कुरा उठा। मैं जानता था कि अनीता कुंवारी नहीं है। वह पहले सेक्स कर चुकी है। मैने दूसरी लड़कियों की तरफ देखा, सबने सिर हिला दिया सिवाय मोनिका के। वह अनीता से जल रही थी।
मैने कहा, पहले मैं सभी की योनि पर लिंग रखकर उन्हें अहसास करवाउं की लिंग कैसे घुसाना चाहिए। फिर तुम आखिरी में लेटना।
यह सुनकर अनीता उठ गई और रंजना लेट गई। मैने रंजना की योनि पर लिंग टिकाकर हलका ठेला तो वह सिसक उठी, मगर मैने आपा नहीं खोया। रंजना को हटाकर सनम को लेटाया। उसकी मादक गंध वाली योनि को एक बार चूमा और थूक से गीला कर उस पर लिंग टिकाकर हलके से ठेलकर उसे एहसास करवाया कि लिंग कहां से घुसता है। सनम ने जोर से योनि को भींच लिया। इसके बाद मैने बारी-बारी सभी लड़कियों की योनि पर लिंग टिकाकर घुसाने का प्रयास किया, घुसाया नहीं।
आखिरी लड़की के हटते ही अनीता फिर से टेबल पर लेट गई। मैने अपना लिंग अनीता की योनि पर रखा और लड़कियों को बताने लगा कि किस तरह घुसाना चाहिए। जैसे-जैसे मैं लिंग अंदर ठेलता जा रहा था, अनीता की चिकनी योनि में गायब होता जा रहा था।
पूरा लिंग अंदर चला गया तो रंजना बोली- सर अब घर्षण करके भी दिखा दो।
मैं अपनी कमर को धीरे-धीरे आगे पीछे करने लगा। अनीता की योनि में मेरा लिंग अंदर बाहर हो रहा था। सभी टकटकी लगाए देख रहीं थीं। कुछ देर घर्षण करने के बाद अनीता ने योनि जोर से भींच ली। वह चरम पर पहुंच रही थी। मै भी बस छूटने वाला था कि तभी मेरे सिर पर कोई जोर-जोर से घंटी बजाने लगा। मैने सिर घुमाकर देखा मगर कोई नजर नहीं आया।
मेरे सिर में बज रही घंटी की आवाज तेज होती जा रही थी, मैं अनीता की योनि में घर्षण में लगा था। मोनिका मेरे सामने खड़ी होकर योनि का प्रदर्शन कर रही थी और मैं उसमें खोया रहना चाहता था, मगर घंटी की आवाज मेरा ध्यान बंटा रही थी।
अचानक मैने जोर से सिर झटका, घंटी का आवाज अब और तेज हो गई। तभी पट से मेरी आंखें खुल गईं। मैने देखा न तो यह क्लास है, न टेबल और न अनीता। मेरा लिंग जरूर मेरे हाथ में था और सिर के पास पड़ा मोबाइल बज रहा था।
ओह तो मैं सपना देख रहा था, मैने बिस्तर पर ही पड़े-पड़े सोचा। मगर कितना हसीन सपना था। काश यह सच हो पाता। मैने मन ही मन सोचा और कॉल करने वाले को गालियां देते हुए फोन रिसीव किया। मैं सोच रहा था कि काश थोड़ी देर और फोन न आता तो अनीता के साथ मेरा संभोग पूरा हो गया होता। मेरा लिंग उत्तेजना से भरा हुआ था और बुरी तरह ऐंठ रहा था। वह अब भी मेरी मुट्ठी में कैद था। मेरी आंखों के सामने मोनिका, अनीता, सनम और रंजना की अनदेखी योनियां घूम रही थीं।
मोबाइल रिसीव कर मैने कान से लगाया, दूसरी तरफ मोनिका की आवाज थी...
सर मैं आज कोचिंग नहीं आ पाउंगी, मुझे कहीं जाना है।
बस मोनिका की आवाज ही सुनना था कि उत्तेजना में भरा मेरे लिंग से वीर्य का फव्वारा सा छूट पड़ा। मेरे मुंह से सिसकारी सी निकल पड़ी...सी...ई....ई....
क्या हुआ सर, मोनिका ने पूछा।
अं...अ कुछ नहीं। मैने घबराते हुए जवाब दिया। ठीक है।
इतना कहकर मैने तुरंत फोन काट दिया और बिस्तर पर गिरे वीर्य को साफ करने लगा।
तो दोस्तों यह थी वह कहानी, जो थी तो सपना, मगर हकीकत से ज्यादा शानदार।

the end
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