चांदनी रात में भाभी का जिस्म…3

मैं नीचे की तरफ सरक आया। अब उनके पेटीकोट को, जो पहले ही घुटनों तक सरक आया था, पकड़कर धीरे से उठाया और ऊपर सरकाने लगा। पेटीकोट आसानी से ऊपर सरक गया और जैसे-जैसे ऊपर हो रहा था, चांद की हलकी रोशनी में पहले उनकी मखमली सांवली जांघें चमकी और फिर नजर आई उनकी तिकोनी, छोटी सी योनि, जिस पर हलके भूरे रोएं चमक रहे थे। मैने पेटीकोट को पेट पर रख दिया और उनकी योनि को ताकने लगा।

वासना मय हों....


मेरी पहली कहानी एक बहुत ही पुराना उपन्यास है,.. परदेशी...
इस उपन्यास को मैने तब पढ़ा था जब मैं शायद 10 या 11 साल का रहा होउंगा।
उपन्यास 60 के दशक में लिखा गया होगा.. आप समझ सकते हैं कि मस्तराम से पहले भी कई काबिल लेखक थे इस देश में...
आप लोगों को भी यह काफी पसंद आएगा... तो मजा लीजिए...